रामदेव पर लिखी पुस्तक के प्रकाशन पर रोक हटाने को लेकर बाबा को नोटिस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के बारे में लिखी गई पुस्तक गॉडमैन टू टाइकून-द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव को छापने पर रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बाबा रामदेव को नोटिस जारी किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई जनवरी 2019 में होगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव की इस पुस्तक को छापने, डिस्ट्रिब्यूट या बेचने पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि पुस्तक के कुछ अंशों को जब तक हटाया नहीं जाता तब इसके छापने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक को छापने से रोकने के लिए बाबा रामदेव ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि पुस्तक जिसके बारे में लिखी गई है उनकी गरिमा का ध्यान रखा जाना चाहिए था और जब तक कोर्ट में ये प्रमाणित नहीं हो जाए तब तक उन्हें खलनायक के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि ये पुस्तक संविधान की धारा 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। हाईकोर्ट ने प्रकाशक की इस दलील को खारिज कर दिया था कि उसका मकसद बाबा रामदेव को बदनाम करना कतई नहीं था। कोर्ट ने पुस्तक के बारे में छपी कई समीक्षाओं को उद्धृत किया और कहा था कि कुछ कमेंट्स बाबा रामदेव को खलनायक के तौर पर पेश कर रहे हैं। कोर्ट ने निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उद्धृत करते हुए कहा था कि किसी की गरिमा भी निजता के अधिकार के तहत आती है। बाबा रामदेव योगगुरु के रूप में प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं इसलिए उनके बारे में जब तक प्रमाणित नहीं हो जाए उनके बारे में कुछ नहीं लिखा जा सकता है।

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